STORYMIRROR

संदीप सिंधवाल

Inspirational

3  

संदीप सिंधवाल

Inspirational

मेरा स्वार्थ

मेरा स्वार्थ

1 min
236

हां मैं स्वार्थी बन गया हूं आजकल

इस महामारी से आलसी बन गया

लोगों से बहुत दूरी बनाए रखी है

शायद किसी से कोई मतलब नहीं।


रास्ता बदल देता हूं उन्हें देखते ही

कौन जाने वो मेरा आलिंगन कर दे

रिश्तों की मिठास ख़तम हो रही है

शायद रिश्ता शब्द ख़तम होने को है। 


सजगता को शक कहते रहते थे वो

मुझे आज शक की नज़रों से देखते

मैं सिर्फ अपने ही बारे में सोचता हूं

शायद औरों के लिए समय ही नहीं। 


मेरा स्वार्थ ही मेरी सुरक्षा बन गया है

अच्छा लगता है मुझे वो मतलबी कहें

अगर हर कोई स्वार्थी बन जाए आज

शायद महामारी का नाम ही न रहे।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational