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Natkhat Pathshala

Drama

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Natkhat Pathshala

Drama

मेरा स्कूल

मेरा स्कूल

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एक अकेला जामुन का पेड़

भला था मुझको मेरे स्कूल में,

जब भी मन खराब रहता,

मैं कक्षा के बाद वहीं रहती,

उसकी छाया में..


मौसम में बहुत मीठे जामुन देता था वो

और बाकी समय ठंडी हवा और छाया,

मेरे स्कूल की पानी की टंकी के पास रखे मटके

और लाइन में लगे कुछ विद्यार्थी,


ये जगह भी ठीक लगती थी मुझे

समय बिताने को...

छोटे से बगीचे की क्यारियाँ

और हरी हरी दूब...


इंटरवेल में कुछ महकते से

टिफ़िन खुलते थे वहाँ...

परांठे और आचार,

पोहे और आलू की सब्जी...


ले आती थी मेरी सहेली एक कभी कभी...

मुझे भाते थे बहुत ही वो बेर

और बेर वाले अंकल,

जो 1 रुपए में मुठी भर बेर देते थे।


सबसे ज्यादा सुकूँ मिलता था मुझे

मेरे पसंदीदा विषय की क्लास में,

और मजा ही अलग था अपने

पसंदीदा टीचर से शाबासी पाने का...


मेरे स्कूल में मुझे स्नेह था

उन बेंचों से भी,

जिनपे में मेरी पक्की सहेली के साथ

शरारतें करती और सज़ा पाती थी।


अच्छी लगती थी मुझे

इतिहास की टीचर की

साड़ियां और लिपस्टिक भी...


उनका समझना...उफ्फ...

मुझे इतिहास भी मजेदार लगता था

तब जब वो घर के किस्सों से लेकर

अकबर की वंशावली समझाती थीं।


मैं थी अपने शिक्षकों की चहेती और

भाग लेती थी हर प्रतियोगिता में...

मुझे मेरा विद्यार्थी जीवन बहुत प्रिय है।


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