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VIVEK ROUSHAN

Abstract

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VIVEK ROUSHAN

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मेरा दिल दुखाना चाहिए

मेरा दिल दुखाना चाहिए

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दर्द के साथ चलने का इल्म-ओ-हुनर आना चाहिए

कभी-कभार यूँ हीं खुद से भी रूठ जाना चाहिए


आगाज़-ए-इश्क़ की कहानियों से क्या हासील होगा 

लोगों को अंजाम-ए-इश्क़ के किस्से सुनाना चाहिए


राह-ए-सफर के अँधेरों से डर कर जो हार जाते हैं

उन्हें जुगनूओं के संग इक रात बिताना चाहिए


एक़ हीं टहनी में आते हैं फूल और खार दोनों सो 

फूल के साथ-साथ खार को भी गले लगाना चाहिए


आप हमसे इसलिए खफा हैं की हम क्यूँ खफा हैं

तो आपको अभी थोड़ा और मेरा दिल दुखाना चाहिए।


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