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मेंहदी और स्याही...

मेंहदी और स्याही...

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पेन्सिल रहने दो हाथों में

चौका बेलन न थमाओ माँ

मुझे स्कूल ड्रेस में सजने दो

घूंघट, चुन्नी न ओढ़ाओ माँ।


न हाथ रंगों हल्दी,मेहंदी से

इन्हें स्याही से रंग जाने दो माँ

नींव बनूँगी दो-दो घर की

पैरों पर खड़ी हो जाने दो माँ।


स्कूल के जूते मौजे दिलवादो

पायल, महावर के खूंटे से न बांधो माँ

नन्ही चिड़िया मैं उड़ना चाहूँ

सपनों के पंख फैलाने दो माँ।


बस्ते का बोझ उठा लूँगी

रिश्ते कैसे संभालूँगी माँ

भाभी, बहू अभी नहीं बनना

डॉ., इंजी. बन जाने दो माँ।


विवाह के मंगल गीत न गाओ

खुद समझो सबको समझा दो माँ

क, ख, ग, ए. बी. सी. के सुर से प्रेम मुझे

पढ़-लिख आगे बढ़ जाने दो माँ।।


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