मेहनत या भाग्य
मेहनत या भाग्य
मेहनत से भाग्य बनता है
और भाग्य से तकदीर,
एक के बिना दूजे की कीमत नहीं
कह गए" दास फकीर"।
भाग्य चमकता जायेगा जो
मेहनत की बट्टी से चमकाओगे,
बैठे बैठे खाओगे तो कुबेर का
खज़ाना भी खाली हो जायेगा।
कहते हैं,किस्मत की लकीरें
हाथों में होती हैं जो हर कोई
लिखवा के ही आता है,पर कुछ
लकीरें मेहनत से भी आदमी बनाता है।
मेहनत के बाद भी न मिले
तो समझ लेना किस्मत का लेखा,
पर सतत परिश्रम से हमने कितनों
की किस्मत बदलते है देखा।
मेहनत के साथ ही, धैर्य को
भी अपना गुण बना लो,
झक मारके सफलता तुम्हारा
वरण करेगी, ऐसा जान लो।
जो चुपचाप मेहनत करते हैं और
भगवान के निर्णय का सम्मान हैं करते,
वो भी तो एक पूजा ही करते हैं
और जरा सा दंभ भी नहीं रखते।
अगर बिना मेहनत के कोई
भाग्यशाली तुम्हें है दिखता,
मत भूलो कि उसके पूर्व जन्म
के अच्छे कर्मो का खाता है खुलता।
अच्छे कर्म किए जाओ,मेहनत
से तुम बस जिए जाओ।
भाग्य भी बनेगा,किस्मत भी रंग
लाएगी, "दास फकीर "ये कहता।