मेहमान
मेहमान
सभी है चार दिन के यहां मेहमान,
फिर भी रहते हैं सभी परेशान,
हर पल लड़ते रहते है सभी,
ना समझे कोई अपनी कमी।
फुरसत नहीं किसी को यहां,
बनाने में लगे सब अपनी जहां,
आता जाता किसी को कुछ नहीं,
बनने चले सभी भगवान यहां।
समय की कोई कदर ना करता,
खुद को सबसे ऊपर समझता
भगवान से भी कोई ना डरता,
मन माना है पाप वो करता।