मदिरालय
मदिरालय
बंद पड़े हैं, दिल्ली, केरल,
बंद पड़ा है, मेघालय,
पर अमृत के शौकीनों के,
आज खुल गये मदिरालय,
बंद पड़े हैं, काबा, काशी,
बंद पड़े सब देवालय,
अमर शहीदों के खातिर,
आज खुल गये मदिरालय,
बंद पड़े सब,कल कारखाने,
बंद पड़े हैं चिकित्सालय,
भारत के संम्भ्रांत जगत के,
आज खुल गये मदिरालय,
बंद हैं यातायात के साधन,
बंद पड़े सामूहिक शौचालय,
पर देश भक्त उन कम्बख्तों के,
आज खुल गये मदिरालय,
बंद पड़े हैं, कोर्ट कचहरी,
बंद पड़े सब मंत्रालय,
देश के सब नंगे, लुच्चों के,
आज खुल गये मदिरालय,
बंद पड़ी हैं, सड़कें गलियां,
अभी बंद है,सचिवालय,
देश के पर अतिशय प्यासों के,
आज खुल गये मदिरालय,
बंद पड़े हैं, सब संसाधन,
ग्यान की नगरी विद्यालय,
पर अतिशय आवश्यक सेवा,
आज खुल गये, मदिरालय,
बंद पड़ी है,अर्थव्यवस्था,
बंद अभी सब कार्यालय,
जो नाली में,विश्राम कर सके,
खुल गये उनके मदिरालय,
मदिरालय की भीड़ देखकर,
आज रो रहा मदिरायल,
कैसे मेरे भक्त सह सके,
मुझसे दूरी,अपना आलय,
देश यदि इतनी उन्नत,
सेवा में ही तत्पर होगा,
भूख गरीबी सहज दूर हो,
हाथ में बस मेवा होगा।
