मैंने उसे माफ़ किया.... !
मैंने उसे माफ़ किया.... !


कल तलक
बाहों में बाहें डालकर घूमती थी,
दिल भर गया तो कहती हैं,
की मैं आपको
पहचानती ही नहीं !
कल मिली ओ किसी औऱ की बाहों में
ऐसे देख रही थी मुझे
की जानती ही नहीं !
इस दिल को समझाया
बार-हा की बचो प्यार से,
लेकिन ये मेरा कहा मानता ही नहीं !
मैंने उसे माफ़ किया
जाये कहीं भी जाये,
मैं बुजदिलो पर अपनी कमान तानता ही नहीं
मैं जिंदगी भर लोगों पर खुशियाँ लुटाता रहा,
आज ज़ब मैं दुखी हूँ तो समझ में आया,
की मैं खुशियाँ तो जानता ही नहीं !
राजित राम रंजन पे हँस रहा है
तो हँसता रहे जहां
मैं बेवकूफियों का बुरा मानता ही नहीं !