मैने कब कहा ?
मैने कब कहा ?
मैने कब कहा ?
तू नहीं तो कुछ नहीं जिंदगी में
'तेरी मर्जी, तू ही जाने ?
तेरा तुझको अर्पण ...
पास होकर भी तू कहां साथ थी ?
प्यार था न तेरा कोई इंतजार ...
तू तो बस नाम का रिश्ता
बिलकुल महेंगा बहका बहका सा
तू तो हैं एक अजब सी उल्झन ...
एक तड़पन, बेतुकी सी घुटन
तुझे दवा काम आई ना दुआ ...
जैसे भटका हुआ राही आवारा
मैने कब कहा ? सुधर जाओ
मुझे आस हैं ना कोई उम्मीद
ना गुस्सा हैं ना प्यार कोई ?
यह कैसा रिश्ता ? इतना सस्ता
मैने कब कहा? अपनी हो या पराई तुम ...
साथ चालना ख़ुशियाँ हो या गम कि परछाई
मुझे तो बस निभाना हैं सिर्फ जिम्मेदारियाँ ...
कोई साथ हो या ना हो हर हाल में है जिना