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Ruchika Rai

Abstract

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Ruchika Rai

Abstract

मैं

मैं

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मैं किसी और की कहानी की किरदार नहीं,

मैं लाख बुरी हूँ मगर खुद के लिए बेकार नहीं।


आप मेरी बुराई का चाहे इश्तिहार छपवा दो ,

यह तुम्हारी जोर जबरदस्ती है अधिकार नहीं।


चाशनी जैसी मीठी बोली है आपकी सदा ही,

पर वह चापलूसी दिखती आपका प्यार नही।


जहर दिल में भरकर रखा है मेरे ही खिलाफ,

लगता है जैसे आपको मेरे से सरोकार नही।


आपके इशारों पर चलूँ ये जरूरी कैसे होगा,

आप भी आम हैं मेरी तरह कोई सरकार नही।


नही रखना है मुझे आपसे कोई भी ताल्लुक,

मेरे वजूद को आपसे कभी कोई दरकार नही।


आप जहाँ भी रहो जैसे भी रहो आपकी मर्जी,

आपकी हालात के लिए मैं जिम्मेदार नही।


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