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RAJNI SHARMA

Abstract

4.0  

RAJNI SHARMA

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मैं यमुना

मैं यमुना

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237


टिहरी गढ़वाल से मैं जन्मी,

यमुनोत्री के मुहाने से पनपी,

कालिंदी के नाम से जानी जाती,

कल-कल निनाद सी बलखाती

और इठलाती।


पिता की गोद से निकलकर,

मसूरी की पहाड़ियों से लहर-लहराती।

आगरा, मथुरा, दिल्ली की गलियारों से गुजर,

प्रयाग में बहन गंगा से मिल जाती।

चंबल, बेतवा से कुछ बातें कर

शिलाओं से टकराकर

त्रिवेणी संगम में समा जाती।


कान्हा मेरे और मैं कान्हा की,

यह सोच अपने पर खूब इतराती।

पवन की मंद-मंद खुशबू में,

राधा-रानी की अठखेलियां देख,

मंत्र-मुग्ध हो जाती। 


मैं कृष्णा, मैं सूर्यसुता, मैं जमुना

यम की बहन यमुना कहलाती।



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