मैं तुझमे घर कर लूं
मैं तुझमे घर कर लूं
आँखो में है सपने पलते
कुछ ख्वाब हकीकत में है ढलते
दिलो में कुछ जज्बात है उठते
कुछ बनते कुछ बिगड़ते से
जुबाँ भी शब्दो के जाल है बुनती
कुछ कच्चे कुछ पक्के से ।
सुनो…..
ख्वाबो की ताबीर तुम पूरी कर दो
मुझको अपनी आँखो में भर लो
बन के काजल मैं तुमको लग जाऊं
हर बुरी नज़र से तुम्हे बचाऊँ ।
सुनो…..
अब तो मेरे दिल की सुन लो
मुझको अपनी धड़कन कर लो
रहूँ सदा मैं अब तुममें
और तुम मुझमे घर कर लो ।
सुनो…..
मैं तुम्हारे शब्द बन जाऊं
फिर एक गजलों का संसार बसाऊँ
कुछ गीत , कुछ नजम हो
क्यों ना मैं तेरी कलम बन जाऊँ।