मैं तेरी मोहब्बत हूँ मालूम नहीं था
मैं तेरी मोहब्बत हूँ मालूम नहीं था
मैं तेरी मोहब्बत हूँ मालूम नहीं था
मैं तेरी इबादत हूँ मालूम नहीं था
शाम-ओ- सहर थे साथ मग़र इत्तला न थी
मैं तुमसे सलामत हूँ मालूम नहीं था
जिया भी हमने कितनी रुबाइयत की ज़िंदगी
मैं तेरी ज़न्नत हूँ मालूम नहीं था
हिस्सों में बँटा प्यार था ज़िल्लत भरी दुनियाँ
मैं तेरी ज़ियारत हूँ मालूम नहीं था
ये कफ़न में लिपटा हुआ सौंदर्य बेशुमार
इसकी ही हुकूमत है मालूम नहीं था.