पथ कोई भी हो उसको सँवार लेता हूँ
पथ कोई भी हो उसको सँवार लेता हूँ
बिना खाये कुछ दिन निकाल लेता हूँ
बिगड़ी हालत अपनों की सम्हाल लेता हूँ
ये जरूरी नहीं कि झूठ का सहारा लूँ
सत्य बोलकर भी मैं दिन गुजार लेता हूँ
लोग कहते हैं कोई काम नहीं आता कभी
साफ नियत से मैं सबकी जुहार लेता हूँ
मैंने चाहा जिसे वह खुद को चाहे जो समझे
उसकी खुशियों के लिए ग़म उधार लेता हूँ
मुझे किसी से शिकायत नहीं दुनिया वालों
पथ कोई भी हो उसको सँवार लेता हूँ.