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Shashi Rawat

Abstract

4  

Shashi Rawat

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मैं स्वार्थी हूँ

मैं स्वार्थी हूँ

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880


जहाँ प्यार भी है 

और तकरार भी 

मनाना भी है 

और रूठना भी 


साथ भी है 

और अलगाव भी 

पल-पल बदलते 

नखरे है तो 

कभी न बदलने वाली 

आदतें भी 


नजदीकियाँ है तो 

दूरियाँ भी 

बेशर्मी है तो 

हया के परदे भी 


अपनापन है तो 

बेगाने भी 

मालिक भी है तो 

नौकर भी 


माँ का बेटा हूँ तो 

जोरू का गुलाम भी 

मायके का दुलारा हूँ तो 

ससुराल का पिल्लर भी 


तुम्हारा साथ निभाते-निभाते 

कब जिंदगी गुजर गई 

शादी के इस बेजोड़ बंधन को 

देखते ही देखते 50 साल हो गए 


अब तक इस बंधन में 

हमने बहुत से सुख देखे 

आत्मा तक को तोड़ देने वाले 

दुःख भी हमने देखे 


बस जो नहीं बदला 

वो है हम दोनों का साथ 

कई दोस्तों ने हाथ छोड़ दिया 

तो रिश्तेदारों ने मुँह मोड़ लिया 

बस जो नहीं बदला 

वो है तुम्हारा व्यवहार 


लोग कहते है 

प्यार सिर्फ जवानी 

में ही हो सकता है 

पर मैं कह सकता हूँ 

कि सब झूठ बोलते है 


50 साल बाद भी 

नहीं बदला 

हमारे बीच का प्यार 

माना अब हम दोनों 

खूबसूरत नहीं शरीर से 

मगर हमारी रूह 

खूबसूरत है बहुत 


तुम्हारा प्यार झलकता है 

मेरे लिए नाश्ता बनाते हुए 

अभी भी तुम मेरी चाय में 

चीनी नहीं मिलाती हो 

गलती से मैं डालने की 

कोशिश करता हूँ तो 

मेरा हाथ झटका देती हो 


और जब तुम्हारे हाथ 

नहीं पहुंच पाते 

बालों की तरफ 

तो मैं खुशी से 

संवारता हूँ उन्हें 

और यकीन मानो 

काले बालों से ज्यादा 

मुझे तुम्हारे सफ़ेद बाल 

पसंद है सिल्क रुई जैसे 


जब तुम नहीं चढ़ पाती सीढ़ियां 

तब मैं तुम्हारे सामने खुद को 

पेश करता हूँ जैसे 

वरमाला के समय 

मैंने अपना हाथ दिया था 

तुम्हें सहारा देने के लिए 


तब मेरा बार-बार जन्म 

लेने का मन करता है 

जब मैं तुम्हारी माँग में 

वो लाल रंग का 

सिन्दूर भरता हूँ 

उन काले-काले नगों में 

ढल जाना चाहता हूँ 

तुम्हारे गले की शोभा बनकर 


आखिर में मुझे पता है 

कि तुम नराज होंगी 

पर सुनो मैं अपनी 

आखिरी साँस तुम्हारी 

गोद में लेना चाहता हूँ 

तुम्हारे चाँद से चेहरे 

को आँखों में भरकर 

इन्हें बंद करना चाहता हूँ 


मगर मुझे पता है 

तुम पहले मरना चाहती हो 

सुहागन बनकर 

मगर सुनो, मैं स्वार्थी हूँ 

तुम्हारे बिना जी नहीं पाऊंगा 


इतनी आदत हो गई अब तुम्हारी 

मगर तुम्हें अकेले भी नहीं छोड़ सकता 

इसलिए ईश्वर से गुजारिश है 

कि दोनों की साँस 

एक साथ चली जाए 

और हम दोनों कभी 

जुदा न हो पाए।


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