मैं प्रेम में हूँ
मैं प्रेम में हूँ
मेरे दिल से बहते चाहत के झरने की
परछाई के पीछे चले आओ
बेशक मुझे आज कहना है तुमसे
हाँ मैं प्रेम में हूँ।
जो बन जाओ तुम आसमान मेरा
समेट लो मुझे अपने अस्तित्व के अंदर
रचकर एकाकार
कहना जरुरी है
अहसासो को मेरे पनाह चाहिये
एक प्यार भरी बाँहों की
दरख़्त को तरसे जवाँ ज़िंदगानी।
मैं बेकाबू सी मुखर बहती नदी सी
बनो तुम अफ़ाट समुंदर का साहिल
मेरी चंचलता को भर लो
अपने मौजों की रवानी में
हाँ मैं प्रेम मे हूँ।
बन जाओ ना तुम झील गहरी
मैं उड़ेल दूँ चाहत की नमी
आबशार बहते ही अच्छे
तुम थाम लो अपनी हथेलियों के घट में
हाँ जरुरी है बेशक मुझे कहना है
मैं प्रेम में हूँ।
मैं प्रीत की रागिनी पे बजती
बाँसुरी की धुन
तुम कृष्ण बन जाओ
मैं सजूँ तुम्हारे अधरों पर दिल वृंदावन बने
हाँ मैं प्रेम में हूँ।
तुम्हारे दिल की क्षितिज पर
रखना है खुद को रचेंगे दोनों एक धरी
सहारे बहुत सही भरोसे की बात है
कहो तुम बनोगे मेरा आसमान
तो मैं बन जाऊँ ज़मीं
हाँ मैं प्रेम में हूँ।।