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V. Aaradhyaa

Inspirational

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V. Aaradhyaa

Inspirational

मैं नौकरी करती हूँ तो क्या

मैं नौकरी करती हूँ तो क्या

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अब रूमी को कुछ कुछ एहसास होने लगा था कि... अक्सर उसे क्यूं झुकना पड़ता है। क्योंकि वह अपने आपको बहूत कम आँकती है और खुद को लगभग रिसीविंग एंड पर रखती ह


आज सुबह ज़ब से वह घर के लिए रवाना हुई थी तबसे उसके ज़ेहन में सिर्फ एक ही बात थी कि वह आज मां जी से कह देगी कि अगर करुणा दीदी उसके लिए सुबह चाय बनाकर दे देती है तो यह कोई बड़ी बात नहीं है। क्योंकि वह सुबह जल्दी उठ जाती हैं और उन्हें दोनों बच्चों सवि और श्रीनु को स्कूल के लिए तैयार करने के लिए सुबह जल्दी उठना ही पड़ता है। और वह हमेशा सुबह सबके लिए उठकर चाय बनाती ही हैं तो एक कप रूमी के लिए बनाकर दे ही दिया तो उसे उनका एहसान क्यों मानना चाहिए?


शाम को ऑफिस से आने के बाद से लेकर रात के डिनर तक का काम जब रूमी अकेली संभालती है तब तो करुणा दीदी रसोई में कदम भी नहीं धरती तो उन्हें तो की कुछ नहीं कहता।


क्या... वह उससे पहले आईं हैं और घर की बड़ी बहू हैं... सिर्फ इसलिए उनके द्वारा किए हुए हर कार्य रिकॉग्नाइज किए जाते हैं। जब कि रूमी अभी नई बहू है और धीरे धीरे अपनी जगह बना रही है । इसलिए उसके द्वारा किए हुए हर कार्य की टीका टिप्पणी की जाती है और उससे यह उम्मीद की जाती है कि वह घर के कामों के लिए भी अपना हंड्रेड परसेंट दे।

जबकि गृहस्थी के कामों का आकलन करते हुए घर के लोग यह भूल जाते हैं कि वह एक वर्किंग वुमन भी है।


दरअसल बात यह थी कि...कि रूमी और करुणा देवरानी और जेठानी थी। और उनकी सास विमलादेवी हमेशा चाहती थी कि रुमी भी करुणा की तरह घर का काम संभाल ले उसके बाद नौकरी अगर कर रही है तो अपनी खुशी के लिए कर रही है। अपनी मौज मस्ती करने के लिए कर रही है।


उन्होंने एक बार रूमी से कहा भी दिया कि ,"देखो छोटी बहू! बड़ी बहू ने इस घर में अपनी जगह बनाने के लिए बहुत संघर्ष किया है। और कई मौकों पर घर के लिए उपयोगी साबित हुई है। अपने बहुत सारे शौक और मौज को त्याग करके वह इस जगह पर पहुंची है कि हम उसे इतना सम्मान देते हैं। अब तुम्हारी बारी है। तुम्हें भी अपनी जगह बनाने के लिए घर गिरस्ती में अपना समय भी देना पड़ेगा। और परिश्रमी देना पड़ेगा। तभी तुम्हें हम इस घर में बहू की अच्छी पदवी मिल सकती है!"


उस वक्त तो रूमी शांत रह गई थी पर कमरे में आकर वह अपने पति प्रशांत के ऊपर भड़क पड़ी।


"आपकी मां भी अजीब बात करती हैं । यह कोई बात हुई कि हर बहू को ससुराल में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करना ही पड़ेगा ...? भला यह जरूरी है कि घर गृहस्ती के काम करके बहू अपनी उपयोगिता साबित करो।"अब तक प्रशांत हंस कर बोला था।


"शांत हो जाओ! बड़ी भाभी ने इस घर के लिए बहुत त्याग किया है। तुम परेशान ना हो तुम बस छोटे-छोटे कामों में हाथ बंटा दिया करो । कुछ समय के बाद तुम खुद ही देखना तुम कब इस घर के का हिस्सा बन जाओगी तुम्हें पता ही नहीं चलेगा!"


"पर प्रशांत मुझे इस बारे में मां जी से भी बात करनी पड़ेगी। मैं इतना इंतजार नहीं कर सकती!रुमी ने कहा था।


वैसे पढ़ी लिखी तो करुणा भी थी। पर घर परिवार और बच्चे को संभालना उनकी अपनी चॉइस थी। यह बात क्या बात घर में कोई नहीं समझता था।


और उल्टे...सब एक तरह से रूमी के वर्किंग होने की वजह से उससे खींचे खींचे रहते जैसे कि वह वर्किंग होकर के वह स्वार्थी बन गई है और करुणा दीदी घर परिवार देख कर के सब की दया और सहानुभूति की पात्रा बन गई हैं।


आज शाम में रूमी अपनी बात विमला देवी को कहने वाली थी ।और इसलिए वह सुबह ही अनिश्चय कर चुकी थी कि एक बार अपनी बात स्पष्ट रूप से कहेगी और अपने मन का बोझ उतार कर रहेगी।



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