Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Piyush Goel

Abstract

4.2  

Piyush Goel

Abstract

मैं कलमकार हु

मैं कलमकार हु

1 min
394


तलवारों से न डरता हूँ ,मैं कलमकार हूं

हुकूमत को झुका दे जो, मैं वो तलवार हो

सच को सच कहता हूं और झूठ का विरोध करने वाला

कलम ही है शक्ति मेरी , किसी से न मैं डरने वाला

किसी सिंघासन के आगे कलम मेरी झुकेगी नही

मेरे शब्दों की आंधी कभी रुकेगी नही

जब जब जरूरत पड़ेगी , तब तब चिल्लाऊंगा

कलमकार हूं कलमकार का धर्म निभाऊंग

शब्दो से अन्याय पर करूँगा प्रहार मैं

नही होने दूंगा देश को शर्मसार मै

देश के लिए अमृत बरसेगा मेरी वाणी में

सरकारों के ऊपर तंज होगा मेरी कहानी में

मेरी कलम बतलाती है दुर्योधन के अत्याचारों को

मेरी कलम बतलाती है लूटते मानवाधिकारों को

कलम को ताकत बनाकर हर किसी से लड़ूंगा

कलमकार हु मैं , मैं किसी से ना डरूंगा

प्रेम की गजल भी कलम सुना सकती है

इंकलाब के गीत भी कलम गा सकती है

नई दुल्हन के कंगन भी कलम है

शहीद की पत्नी का क्रंदन भी कलम है

कलमकार का धर्म हमेशा निभाता रहूंगा

अन्याय के खिलाफ आवाज़ मै उठाता रहूंगा

कपड़े , मकान नही कलम ही मेरी शान है

कलमकार हूं मैं कलम ही मेरी पहचान है।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract