मैं कहाँ जा रहा हूँ
मैं कहाँ जा रहा हूँ
जाने किधर मैं कहाँ जा रहा हूँ
सफर में हूँ बस चला जा रहा हूँ
दर्द आँसू ख़्वाब और उम्मीद लिए
अपनी मंज़िल की ओर बढ़ा जा रहा हूँ
दुनिया से पहले मैं खुद को समझ लूँ
इस वास्ते गहराई में मैं डूबा जा रहा हूँ
बेफिक्र हूँ राहों से काँटों से जालों से
मैं नदी की तरह चुप-चाप बहा जा रहा हूँ
भले हूँ मैं आसमां का इक छोटा सा तारा
फिर भी महताब को सजा जा रहा हूँ