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Neerja Sharma

Abstract

5.0  

Neerja Sharma

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मैं इक थैला कपड़े का

मैं इक थैला कपड़े का

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मैं एक थैला 

वो भी कपड़े का 

बहुत खुश हूँ आज 

फिर से सामने आया।


भूल गए थे मुझे सभी

आधुनिकता की होड़ में

 परिवर्तन आया तो

मैंने फिर से जन्म पाया।


प्रकृति का नियम है परिवर्तन भी होता है 

जब प्लास्टिक ने दुनिया को रंग दिखाया

कैंसर जैसी लंबी बीमारियों से मिलवाया

फिर लोगों को मेरा स्वरूप याद आया।


खुश हूँ देखकर फिर से काम में आना

कोई मुश्किल नहीं था मुझे उठाना

या लेकर बाहर बाजार जाना 

बस इस आदत को था अपनाना।


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p>बड़ा आसान मुझे बनाना

नया कपड़ा हो या पुराना 

मुझे बनाने में खर्चो न आन्ना 

घर में ही बस मुझे बनाना।


हर वक्त मैं सभी के काम आऊँ 

प्लास्टिक दुष्परिणामों से बचाऊँ।

कहीं भी मुझे लपेट के रख लो 

अपनी पॉकेट या काँधे रख लो।


हर जगह मैं जाऊँगा 

हर सामान ले आऊँगा।

फटा तो पौचा बन जाऊँगा 

सबके काम मैं आऊँगा।


एक बात सब रखना याद

कभी न छोड़ना मेरा साथ

प्लास्टिक को नो कह देना

जीवन सुरक्षित कर लेना

मैं हूँ थैला कपड़े का।



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