मैं गांधी बन जाऊँ
मैं गांधी बन जाऊँ
माँ, खादी की चादर दे- दे,
मैं गाँधी बन जाऊँ।
सब मित्रों के बीच बैठ,
फिर रघुपति राघव गाऊँ।
निकर नहींं, धोती पहनूँगा,
खादी की चादर ओढ़ूँगा।
घड़ी कमर पर लटकाऊँगा,
सैर सबेरे कर आऊँगा।
मैं बकरी का दूध पीऊँगा,
जूता अपना - आप सीऊँगा।
आज्ञा तेरी मैं मानूँगा,
सेवा का प्रण मैं ठानूँगा।
मुझे रूई की पूनी दे - दे,
चरखा खूब चलाऊँ।
माँ, खादी की चादर दे - दे,
मैं गांधी बन जाऊँ।