बदल सकता हूँ न समाज को शायद यही अब हमारी नियति बन चुकी है। बदल सकता हूँ न समाज को शायद यही अब हमारी नियति बन चुकी है।
करो प्रतिज्ञा तिरंगे का हर जज्बा शोला बन दिल में रक्खोगे। करो प्रतिज्ञा तिरंगे का हर जज्बा शोला बन दिल में रक्खोगे।
घड़ी कमर पर लटकाऊँगा, सैर सबेरे कर आऊँगा। घड़ी कमर पर लटकाऊँगा, सैर सबेरे कर आऊँगा।
सब कपड़ों से अलग शान हमारी ग्रामोद्योग जीवन की आन सब कपड़ों से अलग शान हमारी ग्रामोद्योग जीवन की आन
एक लाठी को लेके चलते तन पर लेते खादी तान । एक लाठी को लेके चलते तन पर लेते खादी तान ।
२ अक्टूबर दिन हैं, खास जन्मे थे इस दिन मोहनदास, बनाया था, इन्होंने इक इतिहास, इसलिए तो मनाते हैं ... २ अक्टूबर दिन हैं, खास जन्मे थे इस दिन मोहनदास, बनाया था, इन्होंने इक इतिहास, ...