बदल सकता हूँ न समाज को शायद यही अब हमारी नियति बन चुकी है। बदल सकता हूँ न समाज को शायद यही अब हमारी नियति बन चुकी है।
भूल न पाऊं मैं वो होली बन गई थी सब की हमजोली देश प्रेम और भाईचारा कैसा था उत्सव वो प्यारा प्रेम ... भूल न पाऊं मैं वो होली बन गई थी सब की हमजोली देश प्रेम और भाईचारा कैसा था उत्...
मुख पर मुस्कान और सजनी की बोली मुख पर मुस्कान और सजनी की बोली