मैं दूल्हा बनूंगा
मैं दूल्हा बनूंगा
कारगिल युद्ध के समय की बात
माँ ने फौजी बेटे से कहाँ
बेटे तेरी शादी करूंगी
बेटा बोला नहीं माँ
भारत माँ का बुलावा आया है
मुझे जाना है मेरे जाने के बाद माँ ने मुझे बुलाया बेटे आजा तेरे शादी करूंगी
बेटे ने माँ को इस तरह समझाया
माँ बुलाती मुझ को बड़े प्यार दुलार से
मैं खुश हो रहा था इस लाड़ प्यार से
आजा तू घर फिर दूल्हा बनेगा
फिर सज धज कर घोड़ी चढ़ेगा
माँ की बात सुन बेटा सहम रह गया
खेलूँ खून की होली माँ कह गया
चरणों की कसम तेरी मां मैं घोड़ी चढूँगा
चार चार कंधों की अरथी से सजूंगा
मालाओं का शहर तिरंगे की चादर से ढकूंगा
पीछे मेरे बराती होंगे मैं दुल्हा बनूंगा मैं दुल्हा बनूँगा
बेटे की सुन बात माँ की आँखें भर गई
सोचा था खिलाऊँ पोते को ये बात रह गई
सीने से लगा लोरी सुना मैं खूब खिलाती
जो रोता कभी उस को मैं लाड लड़ाती
(बेटा बोला माँ से रो मत)
बहना से कहना राखी मेरी संभाल ले
छोटे भाई को भी मेरी राखी बांध ले
बचपन से ही तेरी मेरी अलग बात थी
जब पिता डांटते तब होती तू मेरे साथ थी
माँ रो मत गम ना कर मैं दुल्हन लाऊंगा
पीछे मेरे बराती होंगे
ढोल नगाड़े साथी होंगे
माला होंगी घराती होंगे
तिरंगा मैं सर से नीचे तक उठूंगा
मां मैं दूल्हा बनूँगा मैं दुल्हा बनूँगा
(माँ को बेटे का बचपन याद आया)
छोटा था जब तू शरारत करता था
मिट्टी उठाकर हाथ में
भारत माँ का जयकारा करता था
समझी नहीं बचपन को तेरे मेरे कृष्ण कन्या
छोड़ गए तू भी मुझ को
जैसे छोड़ी यशोदा मईया
मां घर को सजा ले
मैं घोड़े में चढूँगा
पीछे मेरे बराती होंगे मैं
दुल्हा बनूँगा मैं दुल्हा बनूँगा
देख मेरी अरथी पे आंसू ना बहाना
घन घोर तिमिर में तू एक दीप जलाना
छोटे भाई को भी मेरी वर्दी पहनाना
आऊंगा घर तेरे मैं घोड़ी चढूँगा
पीछे मेरे बाराती होंगे मैं दूल्हा बनूँगा
(गीत के रूप में)
तेरी खातिर ही मैं
माँ भारत माँ का लाल बना
तेरी दुल्हन ना ला सका
दूल्हा बस एक बार बना
छूकर दुश्मन की गोली मेरे दिल को
धरा पर गिर पड़ा मुट्ठी
में लिए मिट्टी को
अंत समय में भी याद आई
मेरी माँ की भारत माता
तेरा लाल आज दुल्हा बन
घोड़ी चढ़कर जाता
है तू मेरी माता मेरी भी माँ की भारत माता
है तू माता मेरी भी माँ की भारत माता
अगले जन्म फिर तेरा लाल बनूंगा
मैं घोड़ी चढूँगा मैं दूल्हा बनूँगा
मैं दूल्हा बनूँगा।