मैं धुरी मेरे आंगन की
मैं धुरी मेरे आंगन की
मैं धुरी मेरे आंगन की,
मैं डोरी मेरी माला की,
मैं चंचल, निर्भय, मनभावन,
मैं बहार मेरे बागन की।
मैं तितली रंग बिखराती,
मैं फूलों को महकाती,
मैं चंदा की चांदनी,
मैं सपना सुरमयी अँखियों की।
मैं ज़िन्दगी को मुस्काती,
मैं हर पल गले लगाती,
मैं तुम संग साथ निभाती,
मैं तुम्हारे पावन की।
मैं धुरी मेरे आंगन की,
मैं डोरी मेरी माला की,
मैं चंचल, निर्भय, मनभावन,
मैं बहार मेरे बागन की।