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मैं भी चाहती हूँ बदलना

मैं भी चाहती हूँ बदलना

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नए ज़माने और बदलते परिवेश की,

बदलती जरूरतों के साथ।

मैं भी चाहती हूँ बदलना,

अपनी पुरानी पहचान को।


दिखूँगी मैं सक्षम उठाने में,

नई जिम्मेदारियों को भी।

प्यार से ज़रा देखो इधर,

मेरी देह के इस पार भी।


बदलते परिवेश और जरूरतों में,

नई सोच के साथ खड़ी मिलूँगी।

बनकर अर्धांगिनी, दोस्त और

हमसफर हमेशा तुम्हारे साथ मैं।


बस नहीं चाहती हूँ अब,

और ऊब चुकी हूँ मैं।

दान की जाने वाली अपनी,

उस पुरानी पहचान से मैं।


बदलना होगा आज तुम्हें,

उस पुरानी सोच को भी।

चलने को मेरे साथ-साथ,

मेरी नई पहचान के भी।।


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