मैं बदलने लगा हूँ
मैं बदलने लगा हूँ
तुम्हारी जिंदगी में अब हर दिन रात होगी
बैठोगी जब अकेले में तो सिर्फ यादों से बात होगी
सुनोगी तुम, तुम पर लिखी मेरी शायरियाँ
अब हर रोज सतायेगी तुम्हे, तुम्हारी गद्दारियाँ
तुमसे बिछड़ने के बाद मैं समझने लगा हूँ
धीरे धीरे ही सही लेकिन मैं बदलने लगा हूँ
फिर कही खो जाओगी, बीत चुके उन पलो में
अब ना मिलूँगा वापस इश्क के मेलोे में
मिलोगी जब किसी रास्ते में, तो मुलाकात आम होगी
तबसे हर घड़ी तुम्हारी जिंदगी में शाम होगी
तुम्हारे दिकू, बाबू, जानू में से गुजरने लगा हूँ
धीरे धीरे ही सही लेकिन मैं बदलने लगा हूँ
लिखूंगा पन्नो पर लेकिन बदनाम तुम होगी
सुनाउंगा महफिलों में उस शाम गुम होगी
मुस्कुराहट मेरी आयेगी वापस
और तेरी सरेआम गुम होगी
तुझ संग बीते लम्हों को मचलने लगा हूँ
धीरे धीरे ही सही लेकिन में बदलने लगा हूँ