मैं बदलने लगा हूँ
मैं बदलने लगा हूँ


जहां तुम होती थी, बिन बुलाये आता था वहां मैं
कितना मशहूर हो रहा हूँ, अब इस जहां में
अंदाज़ मत लगा मेरी ख़ुशियों का
इसे पाने के लिये, तेरे दिये दर्द में कई दिन रहा मैं
तुझे छोड़, किसी और की फ़िक्र करने लगा हूँ
धीरे धीरे ही सही लेकिन, मैं बदलने लगा हूँ
वो मुश्किलें थी तुम्हारे प्यार को पाने की
फ़िक्र में तुम्हारे जाने की या लौट आने की
मिटाते रहो तुम, हुस्न की चाहत गैरों की बांहों में
क्योंकि हर घड़ी बीत चुकी है तुम्हें समझाने की
जिंदगी में खाई ठोकरों को भुलने लगा हूँ
धीरे धीरे ही सही लेकिन, मैं बदलने लगा हूँ
तुमने हाथ छोड़ा, तो औरों ने हाथ पकड़ लिया है
महफिलों के दौर ने अब मुझे जकड़ लिया है
प्यार के गुलामों की बस्ती में, मेरा बसेरा हुआ करता था
तुम्हारी यादों में कभी, दिन सुनेहरा हुआ करता था
अब तो हर दिन शेरों, शायरीयाँ करने लगा हूँ
धीरे धीरे ही सही लेकिन में बदलने लगा हूँ