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Manju Rai

Inspirational

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Manju Rai

Inspirational

मैं - अहम की कहानी

मैं - अहम की कहानी

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दौड़ती - भागती ज़िन्दगी की शाम कब हो गई पता नहीं

बचपन से जवानी औ बुढ़ापा कब आया पता नहीं

प्यास कुछ पाने की हर पल जगती रही

जो था उसे अपनाने की फुरसत न रही I

समय का पहिया घूमता रहा

मैं अपनी मैं की चक्की मेँ पिसता रहा

आसान सी ज़िन्दगी को जी न सका

अपनो को मैं पाकर भी पा न सका।

मैं को जीने की खातिर अपनो से दूर होता गया

आज चाह कर भी मैं उनको पाने में असमर्थ हो गया

मैं की हार में ही तुम्हारी जीत छुपी है I

जीवन जीने का असली फलसफा यही है I

मैं से तुम नहीं जब हम बन जाओगे I

जीवन धारा का मीठा जल तभी ग्रहण कर पाओगे I


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