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Pt. sanjay kumar shukla

Abstract Fantasy

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Pt. sanjay kumar shukla

Abstract Fantasy

मै पुस्तक हूं भाग - २

मै पुस्तक हूं भाग - २

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आपको भी पता है कि मेरे

जिस्म की रग रग में

वीरांगनाओं का लहू बहता है।

जिन्होंने देश विदेशों में अपनी

अमर कहानियां मुझ पुस्तक

में लिखी है।

आज भी हिंदुस्तान के रक्त से

सनी मिट्टी उस जालियांवाला

बाग मेरे मस्तक में लिखी है।

आज भी नागासाकी और

हिरोशिमा की चीजें जो

जापान की गलियों में गूंज रही है,

वह शब्द मेरे हर एक

पन्ने में सिसक रही है।


ऐसी ऐसी अनेकों कहानियां

पुस्तक में ही मिलेगा।

मैं कितनों की खुशियां और

कितनों के दर्द सहती हूं मैं ही जानती।



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