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मै जब भी रोता हूँ

मै जब भी रोता हूँ

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मै जब भी रोता हूँ,

घर बैठे-बैठे रोता हूँ।

मुस्कुराना जब होता है,

मै फिर दिखाई देता हूँ।


ग़म से मेरा वास्ता नहीं,

ऐसा तुम सोचना नहीं।

गम तो मेरा अपना है,

मै इसे बाँटता नहीं।


जलसा जब हो, तुम आना ज़रूर,

खुशी में मेरे , तुम होना ज़रूर।

तुमसे मै खुशी छुपाऊँगा नहीं,

ये बाँटने से कम कुच होता नहीं।


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