माटी को सलाम
माटी को सलाम


आओ बुने ख्वाबों को धरातल देते हैं
आंखों में उतारी तस्वीर से रूबरू होते हैं।
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आओ ऐसा भारत बनाते हैं जहां आंखों में पानी हो
पलकें नहीं कभी भारी हो, रंजिशों की नहीं कोई गुंजाइश हो
साज़िशों की भी नहीं कोई साजिश हो।
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यहां कोई जिंदगी कर्ज पर नहीं जीता
किसी के एहसानों तले दबकर नहीं रहता
आत्मनिर्भर बनने पर फक्र करता है
हिंदुस्तान की माटी को सलाम करता है।