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Anita Sharma

Abstract

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Anita Sharma

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मातृत्व

मातृत्व

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हर पल जब मेरा दिल घबराया 

पीड़ा से जो दिल थर्राया 

तेरे कोमल एहसास ने मुझको 

मेरे मातृत्व पर गर्व कराया 

जब भी मैं कमज़ोर पड़ी, 


सुनकर वो अविश्वसनीय 

तुम्हारी सांसों के स्वर 

उस स्पंदन की लय,वो ध्वनि करतल

हर पल मेरा विश्वास जगाया 

घबरा मत माँ में ये आया 


उन नन्हे-नन्हे कोमल हाथ-पाँव से 

तुमने मुझको एहसास दिलाया

माँ मैं बिल्कुल ठीक हूँ तेरी शय में 

वो कोमल नन्ही कदम ताल ने 

तेरे जल्दी आने का बोध कराया 


खुश होकर मैं सपनों से भर गई 

तुझे पाने की आहट से मन भर आया 

ये कोख मेरी अब अधूरी नहीं 

तुमने मेरे वजूद का मान बढ़ाया

 

न सिर्फ मुझको माँ बनाया, अपितु

मुझको संकट में धैर्य बँधाया 

लड़ते है जंग ज़िन्दगी की कैसे

तेरे बढ़ते कदमों ने ही सिखाया।


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