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Vibha Rani Shrivastav

Abstract

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Vibha Rani Shrivastav

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मातृ शक्ति को नमन

मातृ शक्ति को नमन

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माँ क्या होती है?

जानने को मिला

अनसूया की कथा पढ़ !

त्रिदेव जिस वजह से

शिशु बने हों!

मेरी माँ अनसूया सी थी


जानने को मिला

गाय बहुला की कथा पढ़

मोह में कृष्ण सिंह बने थे!

मेरी माँ बहुला सी थी


जानने को मिला

कृष्ण को ओखल से बाँध

धारा-धार रोती,

गर्भनाल की ही जो बात होती

माता यशोदा-धाय पन्ना की

बात नहीं होती।

मेरी माँ यशोदा सी थी


जानने को मिला

गाय-तेंदुआ की कथा पढ़!

माँ बस माँ होती है

मेरी माँ प्रत्येक माँ सी थी


माँ क्या होती है ?

होती है क्या माँ !

बिन माँ बने जान पाना

कहाँ आसान होता है,

मैं माँ सी तो हूँ !

तो जानती हूँ

माँ मुझ सी ही होती है


आपके कितने बच्चे हो गए होंगे ?

माया का प्रश्न

बेहद कौतूहलवश था।

प्रीति एकता बुचिया बिटिया शाइस्ता

मुनिया चुनिया बिट्टू

अभिलाष, राहुल, संजय, रब्बान, सन्दीप


रवि, हिमांशु, विष्णु

माँ ! बस ! बस ! रहने दें माँ

बहू होने के पहले जान गई थी।

एक के आगे शून्य बढ़ाते जाना

माँ का आँचल आकाश सा होना।


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