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sargam Bhatt

Abstract Romance Inspirational

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sargam Bhatt

Abstract Romance Inspirational

मासूम बचपन भी कितना प्यारा है

मासूम बचपन भी कितना प्यारा है

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हर बीतते लम्हे याद बनते जाते हैं,

कभी ख़ुशी तो कभी गम की गठरी बनाते जाते हैं।

यादें ही हमें अहसास दिलाती हैं कि

समय कैसे भागता चलता हैं,

जो पल हम जी रहे थे

वो कैसे अगले पल याद बन जाता हैं।


ऐसी ही कई यादें पर लिखी शायरियों का आनन्द ले,

और कैसी लगी इस पर अपनी राय जरुर दे ।

वो बचपन के खेल कैसे याद बन गये

वो रेत के घरौंदे कैसे आज ढह गये

वो कागज की कश्ती में हम जमाना घूम आते थे

आज बुढ़ापे में वो सुनहरे पल बस एक याद बन गये।


याद आता हैं वो बचपन सुहाना

वो खेल खेल में दोस्तों से लड़ जाना

रंग बिरंगी बॉल लिए डब-डब आंसू बहाना

नन्ही सी गुड़ियाँ के लिये रोज आशियाना सजाना

रोज-रोज चॉकलेट के लिये जिद्द कर जाना

डांट पड़ने पर दादी माँ के आँचल में छिप जाना

न जाने कहाँ छुट गये वो प्यार भरे तराने

बस यादों में छिप गये मेरे बचपन के अफ़साने


दोस्तों के साथ बीते हर पल याद आते हैं

नुक्कड़ के झगड़े अब मुस्कान लाते हैं

छोटे-छोटे किस्से कैसे महीनों चलते थे

कोई रोता,कोई हँसता,कोई रूठकर दूर हो जाता था

रूठना भी ऐसा जैसे अब ना मिलेंगे एक दूजे को

एक बार कोई हाथ बढ़ा ले फिर से थाम लेते एक दूजे को

कितना मासूम था वो बचपन का जमाना

दो पल का झगड़ा, दो पल में मान जाना

सोचा न था एक दिन यह भी आएगा

अकेला बैठ मैं बस उन यादों को गुनगुनायेगा


पैदा हुए मां ने उठना बैठना चलना सिखाया,

और जब चलने लगे तो दोस्तों के साथ किया

हुआ बचपना अभी भी याद आता है।

वह बारिश में भीगना,

पेड़ों पर चढ़कर आम तोड़ना

बगीचों में घूमना

तालाब में नहाना

लुका छुपी खेलना


मां के बुलाने पर ना आना कि 

अभी डांट पड़ेगी सब बहुत याद आता है।

बचपना बीता बड़े हुए और कॉलेज जाने लगे,

सब अपने अपने में बिजी हो गई,

किसी को किसी की परवाह नहीं रह गई,

उसके बाद शादी हुई बच्चे हुए, जब अपने बच्चे हुए और

हरकतें शैतानी करने लगे तब उसी भूली गई मां की याद आने लगी।


दोस्तों हम जैसे जैसे बड़े होते जाते हैं अपने आप में बिजी हो कर

अपने मां-बाप को भूल जाते हैं शादी करके अपने ससुराल आते हैं

यहां जिम्मेदारियों के चलते भूल जाते हैं लेकिन जब अपने बच्चे होते हैं

और शरारत शैतानियां करते हैं तब उसी मां की याद आती है ।

कि ऐसे हम भी शैतानी करते थे और मां हमें समझाया करती थी।

हर मां को समर्पित, लव यू मां।


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