" मार्ग दर्शक "
" मार्ग दर्शक "
कोई सुने या ना सुने ,हम कुछ बात कह लें !
कोई समझे या ना समझे ,थोड़ी सी कोशिश तो कर लें !!
बातों को अब लेखनियों ,में ही हम कह सकते हैं !
कान तो खुले हैं अपने पर ,मुँह पर मास्क लगे रहते हैं !!
घोषणाएं सुनने के लिए ,कान खुले रहने चाहियें !
मौत का तांडव देखने के लिए ,आँखें खुलीं रहनी चाहियें !!
लाखों के जनाजों को गंगा ,के धाराओं में बहते देखा !
कई लावारिस लाशों को ,यहाँ हमने फेंकते देखा !!
देखने और सुनने के सिवा ,और नहीं कुछ कर सकते हैं !
इसी तरह रह- रह के हमसे ," मन की बात " वे करते हैं !!
" मैक इन इंडिया "और नारों को,ये सिर्फ हमको कह रहे हैं !
अब " आत्मनिर्भर भारत " का ,सपना लोगों को दिखला रहे हैं !!
स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था ,का हाल ही बेहाल है !
लोगों को दावा ,इलाज और ,सुई भी मिलना मुहाल है !!
मुँह हमारे बंद हैं और हम ,सिर्फ हठधर्मिता को देखते हैं !
सेवा नहीं है लक्ष्य कोई ,दुख ही दुख केवल बाँटते हैं !!
एक जैसा दिन किसी का ,इतिहास में किसका रहा है !
" मार्ग दर्शक " का कमरा ऐसे ,लोगों का इंतजार वर्षों से कर रहा है !!