मानवता धर्म निभाएं
मानवता धर्म निभाएं


मानवता धर्म है मानव का,
इसे हम सदा ही निभाएं।
परीक्षा के कठिन दौर में,
हम तनिक भी न घबराएं।
गुलाब की तरह ही तो है
जीवन का मिश्रित प्रभाव।
कांटों की चुभन सुगंध-रंग संग
नहीं है यहां कुछ भी अभाव।
खुशी या गमों के पल में भी
मानवता कभी न बिसराएं।
मानवता धर्म है मानव का
इसे हम सदा ही निभाएं।
असंभव न जगत में कुछ भी
जो सतत् करते रहेंगे प्रयास।
कुछ मुश्किल पल जब आएं
तब अपनाएं योजनाएं खास।
असफलताएं संकल्प तुम्हारा
निर्बल लेश भी कर ना पाएं।
मानवता धर्म है मानव का
इसे हम सदा ही निभाएं।
रहें अग्रसर धर्म के पथ पर
तो सबका ही कल्याण होगा।
अनुकम्पा प्रभु की बरसेगी
नहीं कोई भी संताप होगा।
हम हिम्मत तो कभी न हारें
जिन्दा रखें हरदम आशाएं।
मानवता धर्म है मानव का
इसे हम सदा ही निभाएं।