STORYMIRROR

Prem Bajaj

Inspirational

4  

Prem Bajaj

Inspirational

मानो या ना मानो

मानो या ना मानो

1 min
406

मानो या ना मानो जो चाहोगे मिल जाऐगा।

एक पत्थर तबियत से तो उछालो आसमाँ मे,

तो आसमाँ मे भी सुराख हो जाएगा।


दिल की गिरह तो खोलो,

मुँह से कुछ तो बोलो,

कोई गीत तो गुनगुनाओ,

ज़रा तुम भी कुछ सुनाओ, तो सब सुनेंगे।


जो परदे पडे़ है खिड़की पर,

ज़रा उनको तो हटाओ,

इक बार बाहर तो नज़र दौडा़ओ,

मदमस्त शाम का आनंद मिलेगा।


ज़रा उलझे हुए इन रिश्तों को तो सुलझाओ,

ज़रा तुम भी अपनो के नज़दीक आओ,

तो हर कोई अपना बनेगा।


मन को दुविधा मे डालो,

ज़रा आत्मविश्वास की ज्योत तो जलाओ।

ज़रा नफ़रत के पौधे को प्रेम-अमृत का पानी तो पिलाओ।


ये ज़िन्दगी पत्थर नहीं हीरा है,

ज़रा इसकी कदर तो बढा़ओ।

ज़रा मस्ती भरी आवाज़ में ज़िन्दगी को इक सुन्दर सी गज़ल तो सुनाओ, आओ यारो इक बार तो मुस्कराओ,

ज़िन्दगी हसीन बन जाएगी,

ज़रा इक बार मेरी बात तो मन जाओ।


अँधेरे रचते है साजिशे बहुत,

ज़ृआ इन्तज़ार करो रौशनी भी आएगी।

ग़र लोगे दुआऐं माँ-बाप की तो किस्मत भी तुम पे इतरायेगी।


मानो या ना मानो यारो...

ग़र जड़ सलामत है तो टहनिया भी बनेगीं,

पत्तियाँ भी आऐंगी, और फूल भी खिलेंगे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational