मानो या न मानो
मानो या न मानो
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कितनी बड़ी तुम बातें कर लो
कितने ऊँचे महल बना लो
कर्म सबके संग चलते हैं
जितना मर्जी उन्हें छुपा लो ।
अच्छे कर्मों का होता बखान
बुरे छुपाने का होता प्रयास
लोगों की नजरों से शायद बच जाओ
मन की आँखों से कैसे बच पाओगे।
मानो या न मानो भाई
यहीं होती कर्मों की भरपाई
जैसो बोओगे वैसा काटोगे
यही मेरी सलाह है भाई।