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Neerja Sharma

Abstract

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Neerja Sharma

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मानो या न मानो

मानो या न मानो

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कितनी बड़ी तुम बातें कर लो 

कितने ऊँचे महल बना लो 

कर्म सबके संग चलते हैं

जितना मर्जी उन्हें छुपा लो ।


अच्छे कर्मों का होता बखान 

बुरे छुपाने का होता प्रयास 

लोगों की नजरों से शायद बच जाओ 

मन की आँखों से कैसे बच पाओगे।


मानो या न मानो भाई 

यहीं होती कर्मों की भरपाई

जैसो बोओगे वैसा काटोगे

यही मेरी सलाह है भाई।


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