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Chinmaya Kumar Sahoo

Abstract Inspirational

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Chinmaya Kumar Sahoo

Abstract Inspirational

माना कि हालात कष्ट दिया मुझे

माना कि हालात कष्ट दिया मुझे

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माना कि हालात कष्ट दिया मुझे

पर जिंदगी जीने का सबक सिखाया है

सुख के बाद दुःख, दुःख के बाद सुख

जग में जीबन ऐसे ही बीतता है


प्रकृति एक पराधीन बंदी जैसा

मौन हो कर इतना तकलीफ सहता है

नाराज हो कर जब वो प्रतिशोध लिया

फिर भी मूर्ख मानुष कहाँ समझता है?


पूँजीबादी से लेकर दादन तक

नेता, मंत्री और जितने जनता

समय का अधीन सारे लोग है

धन संपत्ति का आयु कितना !


हर पल समय बदलता रहता है

संसार मे कोई अमर नहीं होता है

अभिनय खत्म होते ही लौट जाएंगे सब

जब पांचो भुत्तों में आत्मा लीन होता है


सुख का सौदा सब करते हैं

दुःख का दर्द कितने समझते हैं?

धन को छोड़कर मन पहचानता जो

जीबन में जरूर वही जीतता है


जितना खत सार मिलते हुए भी

फसल कहाँ उगते हैं सूखे खेतों में ?

समय होते ही सावधान होना है

इसी वार्ता दिया समय सच में !


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