माँ
माँ
ममता की तू मूर्ति शब्दों से सबको समझा कैसे पाऊं।
कहानी तेरी जज़्बातों की भला सबको कैसे सुनाऊँ।।
भरा स्नेह तुझमें आपार तू ही तो करुणा का है आग़ाज़।
गम तू बांध ले आंचल में सभी तेरी भूमिका क्या मैं सुनाऊं।।
धूप छांव सा स्वभाव तेरा निर्मलता का तुझमें रहता है बसेरा।
प्राण सभी में भर देती तू तेरी महिमा का क्या गुण गान मैं गाऊँ।।
तेरे बिन सब रहता अधूरा तू गंगा, धारा है घर आंगन तेरा।
मां तू मंजिल हम सब की तेरी छवि का प्रमाण क्या बतलाऊं।।
रगों में तेरा ही खून दौड़ता दिन रात तेरा सजदा ये दिल है करता।
धरती अंबर तेरे बिना पूरा ना होता मां राज तेरा क्या सबको मैं जतलाऊं।।