माँ
माँ
चाहे उसे माँ कहें,
या अम्मा कहें,
आई कहें या मम्मी।
वह वो है जो जब हँसे,
तो लगे जैसे सूरज,
का उदय हुआ हो,
एक नयी रोशनी छा गई हो।
और जब वह,
रोए तो लगे,
जैसे रात का,
अँधेरा छा गया हो।
उसके कंगनों की,
खनक से गूँजे ये सारा घर,
माँ तेरे चरणों में,
वह स्वर्ग है जहाँ दुनिया,
से अलग और अनोखा सुख़ है।
उसके आँचल से,
लिपट जाओ,
तो लगे जैसे पेड़ की,
शीतल छाया में बैठे हो।
माँ कभी हमारा,
साथ ना छोड़ना,
कभी हमारा हाथ,
ना छोड़ना।