माँ
माँ
गर्म लू के थपेड़ों में
ठण्डी छांव है माँ।
सर्द हवाओं में
लिहाफ है माँ।
अत्याचार की जुबानी में
ढाल है माँ।
दुनिया की नज़र में
सिर का आँचल है माँ।
बच्चों की
रक्षक है माँ।
जीवन के सफर में
संचालक है माँ।
जीवन को आगे बढ़ाने में
रफ्तार है माँ।
दर्द में
दवा है माँ।
सन्तान के लिए
दुआ है माँ।
घर की
नींव है माँ।
संस्कारों के आदान-प्रदान में
गुरू है माँ।
बहन-भाइयों के प्रेम सम्बन्धों में
जरिया है माँ।
सन्तान के कल्याण में
देवी है माँ।
विपरीत परिस्थिति में
दुर्गा है माँ।
पति के लिए
सावित्री है माँ।
वेदों की दृष्टि में
घर की लक्ष्मी है माँ।
अनगिनत अलंकारों से सुशोभित
होने वाला नज़राना है माँ
सुख-सुविधाओं का खज़ाना है माँ।
दर्द पूछो उन बेचारे अनाथों का
जिनकी नहीं होती है माँ।
