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RIMA PRATIHARI

Inspirational

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RIMA PRATIHARI

Inspirational

माँ

माँ

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क्या लिखूँ मैं माँ के बारे में ? 

कैसे लिखूँ मैं माँ के बारे में ? 


ममतामयी माँ के बारे में लिखूँ तो शब्द कम पड़ जाते हैं , 

माँ की प्यारी सूरत बनाने बैठूँ तो रंग कम पड़ जाते हैं  ।। 


वो कौन सृष्टिकार है जिसने माँ को बनाया , 

हर जगह ख़ुद के बदले माँ को बसाया ।। 


महिमा लिखूँ , करुणा लिखूँ या माँ का दुलार लिखूँ , 

डांट लिखूँ , स्नेह लिखूँ या माँ के छड़ी की मार लिखूँ ।। 


मेरी माँ , 

वो फूल है जिसे ईश्वर ने बड़े स्नेह से खिलाया है , 

दुनिया में ला कर माँ ने संतान को अमृत पिलाया है ।। 


माँ के कदमों में झुके सारी कायनात , 

गोदी में जो सुकूँ मिले जन्नत में कहाँ वो बात ।। 


माँ के आँचल के छाँव में शीतलता का अनुभव हुआ , 

माँ की मिठी वाणी से इस जहाँ से मेरी परिचय हुआ ।। 


जब जब दर्द से तड़पी हूँ , रोई हूँ , कराही हूँ , 

माँ के स्नेह भरी स्पर्श से सहसा स्वस्थ हुई हूँ  ।। 


माँ जब भी मुझ को डांटती थी , अंदर ही अंदर रोती थी , 

मेरी भलाई , मंगल हेतु , दिल पर पत्थर रखती थी ।। 


सारे दुखों को खुद में समेटे , गमों को अपने सीने से लगा के , 

अश्कों को पी जाती थी , माँ पीड़ा में भी मुस्कुरा देती थी ।। 


माँ दर्द के बदले खुशियां बांटती थी , 

मेरी माँ संघर्ष की मूरत थी ।।


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