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SOURABH SINGH

Abstract Romance Thriller

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SOURABH SINGH

Abstract Romance Thriller

मां

मां

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मां तू फिर मुझे वो बसता थमा दे मेरे कंधों पर से यह बोझ हटा दें

मुझे मेरी मंजिलो तक पहुंचा देसुनसान रास्तों पर चलना सिखा दे


मेरी हर दुआ में शामिल है तु मांजिंदगी की रीत से वाकिफ है

तू मां तुझसे से ही तो मेरी सारी खुशियां है मां तेरे बिना तो मैं कुछ भी ना मां


तू है तो मेरी शाम ढले है तुझसे ही तो मेरी सांसें चले हैं

जो तू ना दिखे एक पल को भीतो फिर मुझे सब सुनसान लगे है


मां तू सबसे प्यारी है इस जग में सबसे न्यारी है

तुझसे ही तो मैं पूरा हूँ मां तेरे बिना तो मैं अधुरा हूँ मां


तेरे लिए कुछ कर के दिखाऊँगाअपनी मेहनत से कुछ बन कर दिखाऊँगा

तुने तो रास्ता दिखा दिया मां अब मैं उस पर चल कर दिखाऊँगा।


एक दिन तू मुझ पर नाज करेगी मेरी सारी खुशियों पर तू राज करेगी

मेरी गलतियों को माफ कर देना मां तू मेरा संसार, मेरी अमानत है मां।


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