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SOURABH SINGH

Abstract Romance Thriller

4.5  

SOURABH SINGH

Abstract Romance Thriller

मां

मां

1 min
281


मां तू फिर मुझे वो बसता थमा दे मेरे कंधों पर से यह बोझ हटा दें

मुझे मेरी मंजिलो तक पहुंचा देसुनसान रास्तों पर चलना सिखा दे


मेरी हर दुआ में शामिल है तु मांजिंदगी की रीत से वाकिफ है

तू मां तुझसे से ही तो मेरी सारी खुशियां है मां तेरे बिना तो मैं कुछ भी ना मां


तू है तो मेरी शाम ढले है तुझसे ही तो मेरी सांसें चले हैं

जो तू ना दिखे एक पल को भीतो फिर मुझे सब सुनसान लगे है


मां तू सबसे प्यारी है इस जग में सबसे न्यारी है

तुझसे ही तो मैं पूरा हूँ मां तेरे बिना तो मैं अधुरा हूँ मां


तेरे लिए कुछ कर के दिखाऊँगाअपनी मेहनत से कुछ बन कर दिखाऊँगा

तुने तो रास्ता दिखा दिया मां अब मैं उस पर चल कर दिखाऊँगा।


एक दिन तू मुझ पर नाज करेगी मेरी सारी खुशियों पर तू राज करेगी

मेरी गलतियों को माफ कर देना मां तू मेरा संसार, मेरी अमानत है मां।


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