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SOURABH SINGH

Abstract

4.0  

SOURABH SINGH

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माँ

माँ

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माँ तू फिर मुझे वो बस्ता थमा दे 

मेरे कंधो पर से ये बोझ हटा दे 

मुझे मेरी मंज़िलो तक पंहुचा दे 

सुनसान रास्तो पर चलना सिखा दे 


मेरी हर दुआओ में शामिल है तू माँ 

ज़िन्दगी की रीत से वाकिफ है तू माँ 

तुझसे ही तो मेरी सारी खुशियाँ है माँ 

तेरे बिना तो में कुछ भी न माँ 


तू है तो मेरी शाम ढले है 

तुझसे ही तो मेरी सांसें चली है 

जो तू ना दिखे एक पल को भी 

तो फिर मुझे सब सुनसान लगे है 


माँ तू सबसे प्यारी है 

इस जग में सबसे न्यारी है 

तेरे से ही तो मैं पूरा हु माँ 

तेरे बिना तो मैं अधूरा हु माँ 


तेरे लिए कुछ कर के दिखाऊंगा 

अपनी मेहनत से कुछ बन के दिखाऊंगा 

तूने तो रास्ता दिखा दिया माँ 

अब मैं उस पर चल कर दिखाऊंगा 


एक दिन तू मुझ पर नाज़ करेगी 

मेरी सारी खुशियों पर तू राज़ करेगी 

मेरी गलतियों को माफ़ कर देना माँ 

तू मेरा संसार, मेरी अमानत है माँ 



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