मां का ज्ञान
मां का ज्ञान
में चाहे चांद को भी छू लूं,
तो भी नाम मां का ही आयेगा,
ये दिल मेरा मां की आंखों का तारा है,
मैं गीता भी लिख दूं तो गीत मां का ही गायेगा,
अपने आँसुओं से पाला है मां ने मुझे,
पिता के कहर से निकाला है मां ने मुझे,
तुम्हें कैसे बताऊं ऐ दुनिया वालों,
दिया हर मूॅह का निवाला है मां ने मुझे,
मेरी मां कहती है बेटा,
हर बहन को बहन मां को मां कहना,
अगर मां डांट भी दे तो मुंह से ना हां कहना,
बड़ी किसमत से मिलती है मां दुनिया में,
अगर मां पहचाननी है तो जिनकी मां नहीं होती,
तुम एक दिन वहां रहना।