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Bhavna Bhatt

Abstract Others

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Bhavna Bhatt

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मां चेहर

मां चेहर

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कोई चामुंडा माँ कहे तुझे, 

कोई कहे अंबे माँ,

कोई कहे माता भवानी,

कोई कहे बहुचरा माँ,  

लेकिन, हम तो कहें,

हे! चेहर माँ, आदि शक्ति नवदुर्गे भवानी...


तू है तीन लोक की स्वामिनी, 

तुमसे है दिन और रात। 

गगन तेरी बदौलत इठलाए, 

तेरी कृपा से धरती श्रृंगार कर इतराए। 

तेरे दर्शन पाकर चेहर मां

खुलता किस्मत का ताला। 


तेरी इच्छा से इस जगत में वसंत आए-जाए, 

तेरी इच्छा से ही माते, श्वास चले हर जीव के,

तेरी कृपा से भावना लिखे ए गाथा

तुझसे ही धरती पर हर जीव भोजन पाते ।

तेरी ही दया से चेहर मां

मिलता सबको निवाला। 


एक नहीं यहाँ है हजारों राक्षस,

मानव चोला ओढ़े घूमे बने नर,

हे! चेहर मां

चारों तरफ आतंक मचा, होते बेटियों पर अत्याचार, 

आकर कर दो माता फिर से दुष्टों का संहार। 

तेरी प्रीत से हे! चेहर मां

घर आँगन बना मंदिर...



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