फागुन
फागुन
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कुछ इस तरह से फागुन छाया है,
चारों ओर रंग से भरा माहौल छाया हैं।
अब हुई जो खुशी छीप नहीं सकती हैं,
ख़ामोशियां भी गुनगुना लेती यहां हैं।
देखो फूलों ख़िजाँ पे कुर्बान हो गए हैं,
परिन्दों ने नया आशियां बनाए रखें हैं।
फागुन की महफिल चारों ओर सजी है,
भावना लफ्ज़ों की बौछार चला लेते हैं।
फागुन तेरी मेरी चाहत का हिस्सा है,
आप भुला नहीं सकते यह जादू हैं।
दिल के अंदर लाखों अरमान जागे हैं,
अच्छा लगता फागुन रंग भर देता हैं।
फागुन में सृष्टि सुंदर दिखाई देती है,
रंग बिरंगी माहौल छाया रहता हैं।
