श्रद्धांजलि
श्रद्धांजलि
लताजी की संगीत की बेला
आज उनके साथ शांत हो गई
लताजी को आज हमने खो दिया
शोक लहर सारे जग में छा गया
मात शारदे कंठ विराजते थे
सरगम के सूर बिखर गई
लताजी को नमन करते हैं
छोड़ गये बस रोना-धोने को
गीत उनके अमर बनकर रह गई
कोयल-सी वह मीठी बोली थी
कानों में मिश्री घोल जाती थी
अब संगीत सूना बनकर रह गया
वाणी से रसधारा बहती थी
आज सबकुछ खत्म हो गया है
दिलसे उनको नमन करते हैं
लताजी को श्रद्धांजलि देते हैं
भारत रत्न लताजी को मिला था
हिन्दूस्तान का मान बढ़ाया था
पद्म विभूषण भी मिला था
आज सबकुछ खत्म हो गया
भावना गमगीन हो गई है
गीतों भी सब बिखरे हुए हैं
स्वर साम्राज्ञी कहलाती थी
सात सुरों की मल्लिका थी।